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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ १४ ॥
मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में मां दुर्गा की नौ देवियां और दस महाविद्या का वर्णन है.
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः